मंगलवार, 9 अगस्त 2011

आज भी कैद हैं ...!!!








मुल्‍क को आजाद हुये

बरसों बीत गये

पर हम अपने मन

से आज भी कैद हैं ...!

कभी सरहद के

रस्‍ते

कभी मन में

पनपती बदले की भावना....!!

दुश्‍मनी निभानी हो तो

भूल जाओ तुम

दिल से

प्‍यार रिश्‍ते और

अहसासों को ....!!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सच कहा है...जब तक हम अपने मन को आज़ाद नहीं करेंगे, तब तक आज़ादी का कोई अर्थ नहीं है...सुन्दर प्रस्तुति..

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  2. न आया दुश्मनी करना न ही दोस्ती निभाना !

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