मंगलवार, 28 सितंबर 2010

मौका बन बधाई का .....


गीत को स्‍वर

आपका जब मिलता है

तो वह महकने लगता है,

तारीख गवाह हो आपके जन्‍म की

तो वह भी

यादों में सजने लगती है

मौका बन बधाई का

लबो पे मचलने लगती है

यूं ही आप देती रहें

बरसों बरस

गीतों को आवाज

बजकर एक स्‍वर में

यही कह रहें हैं साज ।

ये शब्‍द यूं ही आज आदरणीय लता जी के जन्‍मदिवस पर शुभकामना बन कागज पर सजीव हो उठे, इन्‍हें जरूरत है आपके आशीर्वाद की .........

शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

वक्‍त की चाल .....


मुहब्‍बत की गलियों में तो

सड़के बेवफाई की ज्‍यादा हैं ।

समझे कैसे वक्‍त की चाल,

बशर तो बस एक प्‍यादा है ।

लगाये फिरते इक मुखौटा,

गहरी चोट का जो इरादा है ।

तन जो मन से जुदा हुआ,

फिर इक लिबास सादा है ।